अगर तुम्हें
नहीं दिखती मुझमे
काम की बातें
तो यह सिर्फ मेरा दोष
नहीं
यह भी सम्भव है
कि समाप्त हो चुकी हों
तुम्हारे भीतर की सम्भावनाये ।
अगर बार बार की असफलता
तुम्हे झकझोर नहीं देती
नींद से नहीं जगा देती
तो मान लो कि
तुमने मान ली है
हार ।
अगर मैं तुम्हें
मैं ही नज़र नहीं आता
तो खुद को देखो
शायद तुम खुद को
तुम ही नज़र नहीं आओगे
याद दावा नहीं
सलाह है
सबके ऊपर
अल्लाह है । ।
@सुशांत
नहीं दिखती मुझमे
काम की बातें
तो यह सिर्फ मेरा दोष
नहीं
यह भी सम्भव है
कि समाप्त हो चुकी हों
तुम्हारे भीतर की सम्भावनाये ।
अगर बार बार की असफलता
तुम्हे झकझोर नहीं देती
नींद से नहीं जगा देती
तो मान लो कि
तुमने मान ली है
हार ।
अगर मैं तुम्हें
मैं ही नज़र नहीं आता
तो खुद को देखो
शायद तुम खुद को
तुम ही नज़र नहीं आओगे
याद दावा नहीं
सलाह है
सबके ऊपर
अल्लाह है । ।
@सुशांत
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